अब सरल तरीके से होगा संस्कृत का पाठन,पायलट प्रोजेक्ट में जुटा उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान


वाराणसी-सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा इस महीने लखनऊ में एक कार्यक्रम के दौरान संस्कृत के समर्थन में दिए गए बयान का व्यापक प्रभाव होने वाला है।इसके लिए उत्तरप्रदेश संस्कृत संस्थान ने कमर कस ली है।बता दें कि लखनऊ में बीते दिनों संस्कृत विद्वानों के‌ सम्मान समारोह के दौरान मुख्यमंत्री ने कहा था कि हर छात्र के मुख में यदि संस्कृत भाषा होगी तभी समाज सुसंस्कृत होगा और भारत का कल्याण होगा।

 योगी के इस सपने को पूरा करने में संस्थान के सदस्यों ने युद्ध स्तर पर कार्य शुरू किया है।नगर के सुंदरपुर स्थित कार्यशाला में इसको लेकर एक कार्यशाला का आयोजन 26 से 28 फरवरी तक किया गया था। संस्थान के उपाध्यक्ष डॉ श्यामलेश तिवारी और डॉ संजीव राय ने बताया कि पूरे भारत से संस्कृत के प्रचार प्रसार में लगे लोगों को इस कार्यशाला में बुलाया गया था और इन तीन दिनों में उन्होंने सरलता से संस्कृत बोलने के लिये अति सरल पाठ्यक्रम तैयार करने पर चर्चा की।आगे यह कार्यक्रम और वृहत् स्तर पर होगा।

 बता दें कि बुधवार को इस कार्यशाला का समापन था, जिसमें कई विद्वानों ने शिरकत की।इस दौरान कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए संस्कृत के उद्भट विद्वान ब्रह्मानंद चतुर्वेदी ने कहा कि संस्कृत के बिना भारत को विश्वगुरु बनाने का सपना कभी पूरा नहीं हो सकता। भारतीय संस्कृति की महानता का एक बड़ा कारण संस्कृत भी था‌, जिसको प्रयोग पहले सारे भारतवासी करते थे।


  इस दौरान कार्यक्रम को संबोधित करते हुए संस्कृत भारती के क्षेत्र संगठन मंत्री डॉ संजीव राय ने बताया कि संस्कृत भारत की आत्मा है, इस भाषा की पहुंच यदि जन- जन तक होगी तो एक बार फिर भारत विश्वगुरू बनेगा।वहीं इस दौरान कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान के उपाध्यक्ष डॉ श्यामलेश तिवारी ने विश्व में संस्कृत के बढते प्रभाव से अवगत कराते हुए कहा कि आज विश्व के सबसे उत्कृष्ट विश्वविद्यालयों में संस्कृत की पढ़ाई हो रही है।लोग इसके लिये भारत की ओर आशा भरी निगाहों से देख रहे हैं, इसलिए संस्थान का उद्देश्य है कि प्रदेश के हर छात्र के मुख में संस्कृत भाषा हो ताकि आगे चलकर वे इस भाषा का महत्व समझें और इसके विद्वान बनें।मौके पर उपस्थित संस्कृत के विद्वान रमण जी घनपाठी ने शब्द निर्माण प्रक्रिया से उपस्थित लोगों को अवगत कराया।
इस दौरान बीएचयू के संस्कृत विभागाध्यक्ष डॉ गोपबन्धु मिश्र,जटा बाबा,उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान के जगदानंद झा,सतीश पांडेय,जोखन पांडेय,डॉ सरोज पाण्डेय,अरविन्द राय शर्मा,कृष्णमोहन हिन्दू,रंजीत कुमार,नागेश कुमार,पूजा शुक्ला,डॉ वीणा भारती,मीना कुमारी, देव निरंजन, डॉक्टर गणेशधर द्विवेदी,डॉ राधा रानी,मनोज कुमार,ईश नारायण,अमित मिश्रा,गौरव कृष्ण, जितेंद्र मिश्रा,समेत कई लोग मौजूद रहे।

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